फिल्म: कठपुतली
कलाकार: अक्षय कुमार, रकुल प्रीत सिंह, चंद्रचूड़ सिंह, सरगुन मेहता, हर्षिता भट्ट, गुरप्रीत गुग्गी
निर्देशक: रंजीत एम तिवारी
ओटीटी: डिजनी प्लस हॉटस्टार
एक और साउथ फिल्म की रीमेक ‘कठपुतली’ (Cuttputlli) दर्शकों के सामने प्रस्तुत है। साल 2018 में तमिल फिल्म ‘रतसासन’ आई थी जिसका फ्रेम दर फ्रेम यह रीमेक है। यह एक मर्डर मिस्ट्री फिल्म है जिसमें सीरियल किलर की कहानी को दिखाया गया है। अक्षय फिल्म में पुलिसवाले की भूमिका में हैं। फिल्म को सिनेमाघर की जगह सीधे ओटीटी पर रिलीज किया गया है। अक्षय के साथ इसमें रकुल प्रीत सिंह, सरगुन मेहता, चंद्रचूड़ सिंह और गुरप्रीत गुग्गी अहम भूमिकाओं में हैं।
क्या है कहानी
फिल्म की कहानी को हिमाचल के एक छोटे से हिल स्टेशन कसौली में सेटअप किया गया है। जहां स्कूल जाने वालीं टीनएज लड़कियों का अपहरण कर उनकी हत्या कर दी जा रही है। पुलिस कोई सुराग नहीं खोज पाती। ठीक उसी वक्त अर्जन सेठी (अक्षय कुमार) की एंट्री होती है, जो पहले सीरियल किलर पर आधारित फिल्म बनाना चाहता था और इस वजह से उसने कई सीरियल किलर के बारे में रिसर्च किया है। किसी वजह से वह अपने सपने को पूरा नहीं कर पाता और अपनी बहन सीमा (ऋषिता भट्ट) के रिक्वेस्ट पर पुलिस फोर्स में शामिल हो जाता है। सीमा का पति नरिंदर सिंह (चंद्रचूड़ सिंह) भी एक पुलिस वाला है।
अर्जन को गायब हुई छात्राओं के मामले में रुचि होती है। पुलिस थाने में एसएचओ परमार (सरगुन मेहता) हैं जिन्हें अर्जन पर भरोसा नहीं है लेकिन जब अर्जन उन्हें सच तक ले जाता है तब वह भी उसकी बात मान लेती हैं। कहानी के बीच में ही दिव्या (रकुल प्रीत सिंह) की एंट्री होती है जिसे पहली नजर में देखते ही अर्जन को प्यार हो जाता है। अर्जन अपनी भांजी को उसके स्कूल के एक टीचर के जाल से छुड़ाता है जो अपनी ही छात्राओं का यौन शोषण करता है। कहानी इससे ज्यादा बताने पर इसका सस्पेंस कम हो जाएगा ऐसे में आपको आगे के लिए फिल्म देखनी होगी।
फिल्म की कमियां
120 मिनट की फिल्म ‘कठपुतली’ आपको स्क्रीन से बांधे रखती है। कहानी और कमाल के थ्रिलर से रोमांच पैदा होता है। बीच-बीच में गाने आते हैं जो कहानी के लय को तोड़ते हैं। गानों को फिल्म से हटा भी दिया जाए तो कोई फर्क नहीं पड़ता। फिल्म की कहानी और पटकथा का पहले से अंदाजा लगाया जा सकता है जिसे और भी रोमांचक बनाया जा सकता था।
कैसी है एक्टिंग
पुलिस वाले की भूमिका में अक्षय जचे हैं। वह पहले भी इस तरह के किरदार बखूबी निभा चुके हैं। ‘बच्चन पांडे’, ‘सम्राट पृथ्वीराज’ और ‘रक्षा बंधन’ के बाद उनका फ्रेश अपीयरेंस है। रकुल प्रीत का रोल महत्वपूर्ण नहीं है। अक्षय कुमार के लव एंगल को निकाल देने से फिल्म की कहानी और ज्यादा टाइट हो सकती थी।
अन्य कलाकारों का रोल
फिल्म के दूसरे कलाकारों में चंद्रचूड़ और हर्षिता भट्ट के पास बहुत ज्यादा कुछ करने के लिए नहीं था। सरगुन मेहता ने जरूर सरप्राइज किया है। उन्होंने अपनी बॉडी लैग्वेज, एक्सप्रेशंस से एसएचओ की भूमिका से प्रभावित किया है। फिल्म में गुरप्रीत गुग्गी और शाहिद लतीफ पुलिसवाले बने हैं। सुजीत शंकर स्कूल टीचर के किरदार में हैं।
क्लाइमेक्स में खलती है कमी
फिल्म का क्लाइमेक्स सबसे महत्वपूर्ण है लेकिन अंत में जाकर सीरियल किलर बहुत जल्दी सबकुछ खुलासा कर देता है। इस वजह से फिल्म में एक कमी से लगने लगती है। निर्देशक रंजीत एम तिवारी ने हीरो और विलेन को लड़ते हुए तो दिखाया लेकिन उसकी मानसिक स्थिति को पर्दे पर बेहतर तरीके से उकेर नहीं पाए कि आखिर क्यों कोई भी सीरियल किलर बन जाता है।